दो नाग और एक हादसा - rishav writer

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दो नाग और एक हादसा 


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             मै कानपुर में अपनी मौसी के पास जा रहा हूँ । यह कानपुर में बसा ऐसा गॉव है ,जो ना तो शहर है ,और ना पुरा का पूरा गॉव । जो भी हो यह जगह मुझे रास आ रही है । हम टमटम से जा रहे है ,रास्ते पर धूल ,हमारे चेहरे पर मास्क और धीमी चाल में टकटक की आवाज में चल रहा अनूठा वाहन हमारे आनदं को दुगना कर रहा है । यहाँ लोग हमें ऐसे देख रहे है जैसे हमलोग भारत से नहीं किसी और देश से आ रहे है , ये सब शहर में नहीं होता है ,और मेरे साथ पहली बार हो रहा था ,इसलिए भी ये मेरे लिऐ एक गजब का अनुभव बन रहा है । हम बस पहुँचने ही वाले है ,अब शाम हो गयी है ,मई बोर हो गया हूँ ,और मेरा सब्र मुझसे बगाबत कर रहा है । 5 -6 घण्टे से हम एक ही जैसे महौल में देख रहे है ,और मै  शांत बिना शैतानी के बैठा हूँ  यही सब इसके कारण है । अब तो हद ही हो गई टमटम में कुछ प्रॉब्लम के कारण  हमे कुछ देर रुकना पड़ेगा । हम थोड़ा टहलने इधर -उधर हुऐ । 
                                अरे बो देखो पता नहीं वहाँ  किस चीज की भीड़ है । हम वहाँ गए और देख कर धर्मसंकट में पर गए । वहाँ दो नाग अलकतरे में फॅसे थे । बो एक दीबार थी जिस पर अलकतरा लगा था और वे भटक कर उसपर चिपक गये थे ।  वे निकलना चाहते थे पर असफल हो रहे थे और लोग इस दर से खड़े  देख रहे थे ,की अगर नागों को बचने जाते है ,तो वे गुस्से और अपने कटाने के स्वभाव के कारण काट ना ले । लोग कह रहे थे इनका क्या भरोसा ये तो शॉप है इनका सवभाव कटना है ,और ये गुस्से में भी है ,बच गए तो भी हमपर जान का खतरा है । "नहीं -नहीं इन्हें मार  जाने दो " तो कुछ लोग नहीं हमें उन्हें बचाना चाहिए "तो बचाओ ना  " मई क्यों बचाओ तुम बचाओ  ,मुझे मरने से दर लगता है । मुझे मरी जान बहुत प्यारी है । हा  तो मत बोलो । 
                    ऐसे ही बातो से माहौल भरा पर था । हमारा टमटम ठिक  हो गया हम वहाँ से चले गए । हमारा घर उस जगह से ज्यादा दूर नहीं था । मेरे सामने साँपो का चहरा आ रहा था " वो छटपटा  रहे ,थे चिल्ला रहे थे और लाचार  थे । उनकी आवाज अब भी मेरे कानो में गूँज  रही थी । मैं  उनकी मदद करना चाहता था पर मौन  था । 
दिन बीत  गया पर बो आवाज नहीं रुकी । हर बीतते  दिन के साथ बो आवाज भी बढ़ती जा रही थी । आज काफी तेज आवाज आ रही थी ।  सोने समय मैने  फैसला ले ही लिया उन्हें बचाऊगा चाहे जो हो । जब मै  उठा तो आश्चज में था आज बो आवाज नहीं आ रही थी । जब मै  वहाँ  पहुँच  तो देखा बो मर पड़े  थे । वे लगातार कोशिश के बाद जब सफल नहीं हुऐ ,तो उन्होंने सर पटक -पटक कर वही जान दे दी और खुद ही मुक्त हो गये  । उस हादसे ने मेरी यादो और मेरी  जिन्दगी  की डायरी में अपनी जगह बना ली ,जिसे मै कभी नहीं भूल सकता । मेरे  मन में बस एक सबाल  छोर गयी ,की यदि आप मरी जगह होते तो क्या  करते ?

                        क्या आप अपनी जान पर खेल कर कहानी को नया मोर देते या मेरी तरह ? चिन्ह के साथ खत्म कर देते   ?

                                 

                                                   The end

                                                                                       by rishav the new writer









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