रूह की रूहानी ताकत by rishav writer

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                       रूह की रूहानी ताकत 


क्लास में हमेशा की तरह लल्ला हो रहा था ,की अचानक से बच्चों को पता चला की रेखा मैम आ रही है और सभी बच्चे शांत हो गये  | सभी को पता है रेखा मैम हमेशा गुस्से में रहती है ,इसलिए कोई भी बच्चा उनकी क्लास में शैतानी करने की नहीं सोचता | 
                                         ( क्लास - 10 )

रेखा मैम - तुम नये  लगते हो , क्या नाम है तुम्हारा ?
लड़का  - रूह 
रेखा मैम - ये कैसा नाम है | 
राहुल - मैम ये बोलता है  इसे जादू आता है | 
रेखा मैम- अच्छा जादू जैसा कुछ नहीं होता  अब सब अपना -                      अपना काम करो | 
सभी बच्चे  शांत और मन में " लगता है आज बैंड बजने वाली है मैम  तो आज बहुत गुस्से में है "| 

रेखा मैम - चलो तुम लोगो को आज हिंदी में लेख या कहनी लिखनी है जिसकी हिंदी गलत हुई वो आज मेरे कहर के लिए तैयार रहे | 

मैडम का इतना बोलना था की सभी ने लिखना शुरू कर  दिया | 

रेखा मैम- मुझे उम्मीद है सबका पूरा हो गया है राज तुम कॉपी दिखाओ 
राज - जी मैम  
रेखा मैम- "ओह कितना गंदा लिखा है तुम खड़े  रहो" | 
राहुल तुम -" बहुत गलती है तुम भी खड़े रहो " 
रिया को देखो कितना अच्छा लिखती है फिर भी हिंदी में गलती करती है "सबको सजा मिलेगी" ऐसे  कर  उन्होंने लगभग पुरे क्लास को खड़ा कर  दिए | 
  
 " तुम नये लड़के  "  हाँ तुम क्या नाम बताया था तुमने 
रूह - रूह "अजीब सा जबाब दिया उसने "
रेखा मैम- हाँ  जो भी है तुमने क्या लिखा है ?
रूह -   कहनी  
रेखा मैम- तो सुनाओ 

रूह - ये कहनी है रीमा की जो  दिखने में थोड़ी शमली थी और अपनी सखियों से इस बात से जलती भी थी की उसके सारे दोस्त गोरे है इसलिए वो हमेशा सबसे लड़ती  भी रहती  थी , " रीमा मानती थी की सिर्फ लड़के ही नहीं लडकिया भी लडको को गंदी नजर से देखती है " | रीमा कॉलेज में सबसे बात कर लेती थी वो किसी लड़के से बात करने में शर्माती नहीं थी |रीमा के बाऊजी बड़े दर्जे के बकील है इसलिए उसे थोड़ी सुख -सुबिधा जायदा और साथ में लड़की होने की जिम्मेबारी भी अच्छे से निभाने को कहा जाता था | रीमा अपने पिता की हर बात एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल देती थी | ठिक शब्दों में कहा जाये तो रीमा को अपने पिता के धन पर बहुत घमंड था | रीमा एक लड़के को चाहने लगती है रोशन नाम था उस लड़के का लेकिन रोशन रीमा की ही दोस्त पूजा  से प्यार करता था | पूजा - रीमा की अच्छी दोस्त थी लेकिन उसे यह प्यार हजम नहीं हो रहा था | उसे लग रहा था जैसे उसका सबला होना और पूजा का सुन्दर दिखना ही इस सब का कारण है  |  रीमा अब उन दोनों को दूर करने के लिए बहुत कोशिस करने लगी पूजा को जब इस सब का अहसास हुआ तो उसने खुद को इस सबसे दूर रखना ही ठीक समझा बाद में पूजा को पता चला की रौशन एक कमीना लड़का है और वो लडकियो से प्यार करने के बहाने बस उसका फयदा उठाता है | पूजा ने यह बात रीमा को समझने की कोशिश की लेकिन तब तक रीमा रौशन के प्यार में पड़ चुकी थी और उसे रौशन के सिवाय कुछ नहीं दिख रहा था उसे लग रहा था पूजा झूठ बोल रही है ,वो उनदोनों को दूर करना चाहती है और सबसे बड़ी  बात रीमा अपने घमंड और जिद से जित ही नहीं पा रही थी और उसे..... 
                                "रुको" तुम्हे ये सब कैसे पता मैम  ने कहा 
रूह - क्योकि जब उन्हें अपनी गलती  का  अहसास  हुआ वो गलती कर चुकी थी | उन्होंने कहा मेरे रूह को ले जाओ और  ख़त्म कर दो | 
रूह का इतना कहना था की मैम रूह मेरे बच्चे कह कर रूह को गले लगा लिया और फुट-फुट कर  रोने लगी | 
रूह - मैम ये तो बस  एक कहनी थी | 
और तभी घंटी बजती है और सारे बच्चे चले जाते हैं ,मैम  वही बैठी रह जाती है | 
  

करीब 2  घंटे से मै यही सोच रही है मेरा नाम तो रेखा है फिर रीमा कौन है और अभी मेरे साथ क्या हुआ था | मुझे  अब  भी  पूरी कहनी याद है लेकिन मै  उसके किसी किरदार को नहीं जानती है ना कभी मिली हूँ  | जब भी मै  इस बारे में सोचती हूँ  मेरा सर दर्द से फटने लगता हैं ,मुझे कुछ समझ नहीं आता  की मैने क्यों कहा की " ये सब तुम्हे कैसे पता " और मै  क्यों रोने लगी | इससब पर विश्बास करना मुश्किल है ,लेकिन कुछ तो बात थी उस रूह की रूहानी ताकतों में | 

                                             The end

by Rishav writer



















  































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